आज फिर तनहा बैठे बैठे
जज़्बात की आंधी सी चली
दिल को इस क़द्र बेआसरा देख
अक्ल ने आख़िर धर दबोचा
मौके का फायदा उठाया
सवालात की आंधी सी चली
पर्दा दर पर्दा उठाया
रंगारंग तमाशा शुरू
रिश्तों को बेनक़ाब किया
हालात की आंधी सी चली
दिल दहला नहीं है अब तक
सब्र और ताक़त है बाक़ी
समय का चक्का घुमाया
करामात की आंधी सी चले
image courtesy : google images
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